Tuesday, August 25, 2009

~*~Ek Din DiLLi me.....~*~

एक दिन दिल्ली मे.........

एक दिन
मैं दिल्ली पहुँचा
स्टेशन पे एक कुली से बाहर जाने का रास्ता पूछा
कुली ने कहा ' बाहर जाके पुछो '

मैने खुद ही
रास्ता ढूँढ लिया
बाहर जाके टेक्सी वाले से पूछा
भाई साहब लाल किल्ले का कितना लोगे?
जवाब मिला बेचना नही हे

टॅक्सी छ्चोड़ मैने बस पकड़ ली
कंडक्टर से पूछा जी क्या मे सिगरेट पी सकता हू?
वो गुर्रा कर बोला हरगिज़ नही यहा सिगरेट पीना मना है
मैने कहा पर वो जनाब तो पी रहे है
फिर से गुर्राया कहा... उसने मुजसे पूछा नही है

लाल किले पहुँचा , होटेल गया
मेनेज़र से कहा मूज़े रूम चाहिए . सातवी मंजिल पे 
मेनेज़र ने कहा रहने के लिए या कूदने के लिए?
रूम पहुँचा वेटर से कहा
एक पानी का गिलास मिलेगा?
उसने जवाब दिया नही साहब , यॅन्हा तो सारे काँच के मिलते है

होटेल से निकला , दोस्त के घर जाने के लिए
रास्ते मे एक साहब से पूछा
जनाब ये सड़क कहाँ जाती है?
जनाब हंस कर बोले पिछले बीस साल से देख रहा हूँ,
यन्हि पड़ी हे.....कही नही जाती

दोस्त के घर पहुँचा तो मूज़े देखते ही चौंक पड़ा
उसने पूछा कैसे आना हुआ ?
अबतक तो मूज़े भी आदत पद गई थी
मैने भी जवाब दिया ट्रेन से

मेरी आवभगत करने के लिए दोस्त ने अपनी बीवी से कहा
अरी सुनती हो....मेरा दोस्त पहली बार घर आया है
उसे कुच्छ ताज़ा ताज़ा खिलाओ
सुनते ही भाभी जी ने घर की सारी
खिड़किया और दरवाजे खोल दिए
कहा ताजी हवा खा लीजिए

दोस्त ने फिर से बड़े प्यार से बीवी से कहा
अरी सुनती हो...इन्हे ज़रा अपना चालीस साल पुराना आचार तो दिखना
भाभी जी एक बाल्टी मे रखा आचार ले आई
मैने भी अपनापन दिखाते हुए भाभी जी से कहा
भाभी जी आचार सिर्फ़ दिखाएगी . चखाएगी नही?
भाभी जी ने तपाक से जवाब दिया यूँही अगर सब को
चखती तो आचार चालीस साल पुराना कैसे होता ?

थोड़ी देर बाद देखा भाभी जी
अपने पोते को सुला रही थी
साथ मे लॉरी भी सुना रही थी
डिप्लोमा सो जा डिप्लोमा सो जा
लॉरी सुन मे हेरान हुआ और दोस्त से पूछा
यार ये डिप्लोमा क्या है?
दोस्त ने जवाब दिया मेरे पोते का नाम
बेटी बंबई गई थी डिप्लोमा लेने के लिए
और साथ मे इसे ले आई
इसलिए हमने इसका नाम डिप्लोमा रख दिया
फिर मैने पूछा आजकल तुम्हारी बेटी क्या कर रही है ?
दोस्त ने जवाब दिया बंबई गई है डिग्री लेने के लिए 


not mine